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Vighn Yaanee Baadha Aae To Isaka Kaise Istamaal Kaise Kare

Vighn Yaanee Baadha Aae To Isaka Kaise Istamaal Kaise Kare

 विघ्न यानी बाधा आए तो इसका कैसे इस्तमाल कैसे करे

   "Kaise Karen Vighn Yaanee Baadha Ka Upyog Safalta Ke Liye" "Vighn Yaanee Baadha Ka Sahi Istemaal Kaise Banaye Jeevan Ko Aasaan"

     ‘प्रकृति जब मुश्किलें बढ़ती है तब बुद्धिमत्ता भी बढ़ाती है।`                              -एमर्सन             'कई पुरुषों की महानता उनकी भारी कठिनाइयों के कारण है'              -स्पर्जियन          `जिस प्रकार फूलों को रौंदने से एक विशेष सुगंध निकलती है, उस प्रकार विघ्न से  अधिक से अधिक कल्याण होता है।`                                     -रोजर्स  

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https://www.ceothinktank.com/thinking-tank/what-are-your-obstacles/ 
                          'जैसे रात सितारों को रोशनी अर्पण करती है उस तरह विघ्न आदमी को रोशनी देता है   -यंग      'संभवतः विरोध के बिना सफलता प्राप्त नहीं करता है। शक्ति हमेशा आक्रामक होती है और हमेशा वही कुछ हासिल करती है।                                                                                       -होम्स          'मनुष्य को जितना अधिक आंतरिक और बाहरी बाधाओं को सहन करना पड़ता है, उतना उनका जीवन अधिक महत्वपूर्ण और विशेष रूप से उत्साह जनक बन जाता है।होरेस बुशनेल खुशियों के संयोग में छिपी हुई बुद्धि संकट के समय में चमकती है।                                 -होरेस बुशनेल  

  'सुर्वण का परीक्षण अग्नि में किया जाता है और संकट के समय मनुष्य का परीक्षण किया जाता है।`                                                                              -सिराय                      'नुकसान और संकट अत्यंत कठिन सबक हैं; लेकिन इससे जो सीख मिलती है वह कहीं और नहीं मिलती।`                                                                                                                          -बर्न्स`  

 धन मन को मजबूत करता है और प्रतिकूलता इसे मजबूत करती है।`                                  -हेझलिट

   'महापुरुषों के उत्थान का कारण विपत्ति है किसी भी व्यक्ति ने खुद को श्मशानवत  शांति में उन्नत नहीं किया                                                       -जॉन नील         'होमर और मिल्टन दुनिया के तीन सबसे बड़े वीर कवियों में से दो थे; जब तीसरा डांटे अपनीपिछली भागमे थोड़ा नहीं तो लगभग अंधा बन गया था  अक्सर ऐसा लगता है कि कुछ महापुरुष कई चीजों के पीछे अपनी शक्ति को विभाजित नहीं करते हैं; लेकिन भगवान ने सिर्फ एक काम पर ध्यान केंद्रित करने के लिए अपने कुछ अंगों को तोड़ दिया था।                               एक प्रसिद्ध वैज्ञानिक कहते हैं, "मैंने हमेशा महसूस किया है कि मैं खोज के करीब  पर हूँ जब विघ्न मेरे सामने आ कर खड़ा रहेता है।"                                              

    `धन्यवाद के साथ वापस भेज दिया जाता है।इस तरह की टिप्पणियों के साथ किताबोंने बहुत से आदमीओ को ग्रंथकार बनाया है।  निष्फलता कई बार मनुष्यकी गुप्त शक्तिया सतेज करके उनकी महत्वाकांशा को उतेजित उसकी निंद्रित शक्तिओको जाग्रत करके सफलताके करीब लाता है ।

   हवा का तूफान हंस के संबंध में करता है - अर्थात, यह इसे ऊंचा ले जाता है - वही करें जो आपके संबंध में विरोधी आलोचक करता है - आपको ऊंचा ले जाता है -  एसा करो।महान अंग्रेजी वकील पेम्बर्टन को सहेनि पड़ी गरीबी ओर करने पड़े परिश्रम के संबंधमे कहेते है की ये तो पीछे से मिलने वाले फसल के लिए तैयारी थी । इसलिए अविश्रांत परिश्रमको विजयका अचूक साधन गिनता हु।  और आर्थिक स्वतंत्रताको सद्गुगुण ओर सुख के आवश्यक साधन करना सीखा के रूप में अथाक परिश्रम का गुण और सुख के लिए एक अनिवार्य साधन के रूप में सीखा। ऋण संकट से उबरने के लिए हमें जो भी कुर्बानियां देनी चाहिए वे करने को तैयार हैं।

     जब नेपोलियन के साथियों ने उसके हल्के कुटुंबमे जन्म और गरीबी के लिए उसका उपहास करना शुरू किया, तो वह किताबों के अध्ययन में पूरी तरह से डूब गया और कुछ ही समय में, पांडित्यमे में उत्कृष्ट प्रदर्शन करके अपना सम्मान अर्जित किया। बहुत ही कम समय में यह उस वर्ग का सबसे विशेष चमकदार रत्न माना जाने लगा।

     एक महान विधायक का कहना है कि अगर एक युवा एक अच्छा वकील बनना चाहता है, तो उसे एक ऋषि की तरह रहना चाहिए और घोड़े की तरह काम करना चाहिए।

आधा भूखा रहेने से एक युवा वकील को जितना लाभ होता है उतना दूसरे किसीसे नहीं होता । `

     बहुत से आदमिओने विघ्न के सामने बाथ नहिं भिड़ने की वजह से ओर उसने गुप्त शक्तिओको गती मे रखे एसी मुश्केलिओ के बीच काम नहिं करने की वजह से वो कोई भी कार्य कर शकते नहिं । यही कारण है कि प्राकृतिक शक्तियों वाले ऐसे हजारों लोग दुनिया में विफल हो गए हैं। जिस कोशिस से हम अपना व्यवसाय हस्तगत करते है वो प्रयास केसी भी मुशकेली से भरा हो तो भी उसे करनेमे हमे पीछे हटना नहिं चाहिए   करते हैं, हमें उस पर पीछे नहीं हटना चाहिए।

     गरीबी और अप्रसिद्धावस्था ये सुलजा नहीं शकते एसी अड़चन नहीं है; लेकिन अक्सर यह आलसी मनुष्यों को प्रोत्साहित करता है और साथ ही मन और शरीर को मजबूत करता है।

     एक आधुनिक शिक्षक पूछता है, क्या आप संकट के बिना जीवन पसंद करते हैं? यदि आप उस तरह का जीवन चुनते हैं, तो आप एक आधा जीवन जीकर मरने की इच्छा रखना चाहते हैं। आप कल्पना नहीं कर सकते कि आपके पास संकट के बिना कितनी सामर्थ्य है। इंसान टेबल पर तैरना नहीं सीखता। पानी में गहराई तक जाना चाहिए और लहरों के प्रभाव को सहन करना चाहिए। संकट मर्दानगी और आत्मविश्वास का जन्मस्थान है। संकट सख्त शिक्षक होते हैं और मजबूत शिक्षक अपने शिष्यों को मजबूत बनाते हैं। जो मनुष्य अपना जीवन आनंद में व्यतीत करता है और बिना दुःख के श्मशान में जाता है, वह अपना आधा जीवन व्यर्थ में गंवा देता है। मुसीबतें ईश्वर के संदेश हैं, और जब वे हमें भेजे जाते हैं, तो हम उन्हें ईश्वर के विश्वास के सबूत के रूप में देखते हैं। हमें इसका ज्यादा से ज्यादा फायदा उठाना है। ''

    टेलरैंड कहते हैं, "अगर आप उन्नतिचाहते हैं तो दुश्मनों को उत्पन्न करे।"हमें अपने दुश्मनों से प्यार करना चाहिए; यह एक उत्कृष्ट बोध है। क्योंकि अक्सर वे दुश्मन के रूप में हमारे दोस्त होते हैं। जब दोस्त हमें झूठी तारीफ देते हैं, तो वे हमें सच्चाई देते हैं। उनकी कठोर आलोचना और कठोर फटकार अक्सर एक दर्पण की आवश्यकता को संतुष्ट करती है। और हम अपना असली रूप देखते हैं। ये क्रूर डंक और चोट हमें अधिक से अधिक जीत और अतिरिक्त महान प्रयास की ओर धकेलती है। दोस्त हमारे दोषों को कवर करते हैं और शायद ही कभी हमें फटकारते हैं; लेकिन दुश्मन हमारे दोषों को थोड़ी सी दया के बिना प्रकाश में लाते हैं।

     हम अपने विरोधियों के विजेता हैं। हमारे विरोधियों ने हममे विजय प्राप्त करने की शक्ति विकसित की है। हम अपने विरोधियों के बिना कभी द्रढ़ ओर मजबूत नहीं हो सकते।कठिनाइयों से उबरने वाले व्यक्ति के मुखारविंद पर जीत के निशान हैं, जीत की छाप उसके हर आंदोलन में दिखाई देती है। विपतिओ से भीड़ रहे ईमानदार व्यक्ति दर्शन देव के लिए भी दुर्लभ है,

        `जब परमेश्वर एक आदमी को पढ़ाना चाहता है, तो वह उसे संसाधनों से भरे स्कूल में नहीं भेजता है, बल्कि जरूरत वाली एक स्कूल मे भेजता  है। संकट और कारावास ने जोसेफ को सिंहासन पर बैठा दिया। हम अभी भी ठीक से नहीं जानते हैं कि अर्ध-देवी मानव जाति की इच्छा में कितनी शक्ति है। जब तक हमारे पास कमी और जरूरत अनुभव नहीं होता है। तब तक हमें अपने हृदय में ईश्वर का बोध नहीं होता है।

    स्माइल्स का कहना है कि कठिनाइयों को जीतने के प्रयास से विजय का जन्म होता है। कोई मुश्किल नहीं है,वहा कोई जीत नहीं है। मनुष्य का मुख्य कारण कठिनाइयों में  जो उसे प्रयास करने के लिए मजबूर करता है। व्यक्तियों के ओर प्रजा की प्रगति भी कठिनाइयों से ही संभव है। कठिनाइयों ने कई यांत्रिक आविष्कारों और आधुनिक उपकरणों में सुधार को जन्म दिया है।

       वाटर्स का कहना है कि दुनिया में ज्ञान और प्रगति हासिल करने का प्रयास हमारे मन को मजबूत करता है; हमारी शक्तियों को नियंत्रित करता है हमारी तुलनात्मकता को पूरा करता है; और हमें विचार और चरित्र की स्वतंत्रता देता है। ऐसिडेन कहते हैं कि देवता हमारे चारों ओर मुसीबतें डालते हैं। तब हमारे पास अपनी गुप्त शक्ति का उपयोग करने का अवसर मिलता है और गुप्त रूप से हमारे गुण शांति के सरल समय में प्रकट होते हैं।

     झोपड़ी से जब दस हजार बुद्धिमान, प्रतिभाशाली और गुणी पुरुष प्रकट होते हैं; तब  महलों से, मुश्किल से एक ही आदमी प्रकट होता है।संकट मूर्खों को भयभीत करता है और कायरों को निराश करता है; जबकि यह बुद्धिमान और मेहनती पुरुषों की शक्तियों को बाहर निकालता है।निविघ्न से मिली सफलता और उन्नति मनुष्य को वास्तव में उपयोगी और खुश नहीं बनाती है।

     आराम नहीं बल्कि प्रयास और लचीलापन लेकिन मुश्किलें ही सच्चे पुरुषों का निर्माण करती हैं। कड़ी मेहनत से अर्जित शिक्षा महान सफलता की कीमत है और महान चरित्र का धीमा विकास इसका एक अनिवार्य हिस्सा है।उष्णकटिबंधीय में भी सबसे सुंदर और मजबूत पुरुष विकसित नहीं होते हैं; क्योंकि वहां लोगों को पेड़ पर तैयार रोटी मिलती है और परिश्रम करना बहुत मुश्किल हो जाता है। सबसे सुंदर और मजबूत पुरुष ठंडे क्षेत्र में पैदा होते हैं। मेक्सिको खनिज द्रव्य ज्यादा होने के बावजूट हो रंक है , लेकिन इंग्लैंड पहाड़ी और बर्फीले इलाका होने के बावजूत समृद्ध है। फिर भी यह कोई आकस्मिक घटना नहीं है बल्कि प्रकृति के नियम के अनुसार बनाई गई घटना है। अत्यंत आवश्यकता, साधन प्राप्त करने का संघर्ष, गरीबी के रूप में अमूल्य सहायता - ये चीजें पुरुषत्व का विकास करती हैं और मनुष्य को जंगली अवस्था से बाहर निकालती हैं और उसे सभ्य बनाती हैं। परिश्रम ने भी जंगल को एक सुंदर बगीचे में बदल दिया है।

      अच्छे चरित्र के विकास के लिए सब कुछ त्याग दिया जाता है। निर्जीव पदार्थ के आगे द्रव्य की कोई गणना नहिं है; स्थिति का कोई हिसाब नहिं है  और कीर्ति का कोई विसात नहिं है। क्योंकि चरित्र ही सर्वस्व है। इस विशाल दुनिया में सब कुछ मनुष्य का पोषण है।

       `केवल परिश्रम ही सच्चे मनुष्य का विकास करता है। जो वस्तु दूर से हमें आकर्षक लगती है और जिसे हासिल करने के लिए हम कड़ी मेहनत करते हैं; वो हम प्रपट कलेते है यह हमारे लिए है कि प्रकृति तुरंत हमारे सामने कुछ और अधिक आकर्षक चीज रखकरप्रकृति पहली वस्तु का आकर्षण छिन  लेती है।

     हमारे दिलों की गहराई में एक ऐसी असाधारण कीमती शक्ति रही होती है की ये नाजुक स्थान से (अन्तःकरण के गहेरे हिस्से को) ईश्वर के वार जब तक बिखेर डालते नहीं तब तक हम खुद भाग्य से ही जानते हे उसकी परवाह करते हैं ।  क्या पृथ्वी पर रत्न पाए जाने से पहले इसे खोदा नहीं जाना चाहिए?                       -श्रीमती हेमन्स

          कभी भी आपके दिल की सबसे प्रिय चीज अचानक नष्ट हो जाती है, तो आप किसी भीषण दुश्मन की ताकत को दोगुना करने की मूर्खता नहीं करते; लेकिन धैर्य रखें। क्योंकि असली चीज तो प्रयास में है; प्राप्ति में नहीं।

     '`कई जाने-माने और महापुरुषों ने दुःख के साथ संवाद करके और दुःख की पाठशाला में अध्ययन करके इसे पवित्र किया है।`

    इसलिए उस बाधा को भी बधाई दें जो आपके मार्ग को कठिन बनाती है; हर काटने का सम्मान करें जो आपको बैठने या खड़े होने से रोकता है लेकिन आपको चलने के लिए मजबूर करता है                                                                                        -ब्राउनिंग

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