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Dipawali-Diwali Ke Tyohar Ka Mahatva Sare Vishvame Kyu Hai

Dipawali-Diwali Ke Tyohar Ka Mahatva Sare Vishvame Kyu Hai

दीपावली का त्यौहार का महत्व सारे विश्वमे क्यू है?

     दीपावली का त्योहार कैसे मना किया जाता है? लक्ष्मी पूजन कैसे किया जाता है? इस तरह सभी चर्चाओं को आपके सामने प्रस्तुत करने से आपको पूरी जानकारी मिलती है। दीपावली मनाई जाती है। भारत एक ऐसा देश है। त्योहारों की भूमि कहा जाता है. हिन्दू मान्यता के अनुसार ३३ करोड़ देवता है देखे तो हम किसी न किसी दिन त्योहारका माहोल बन जाता है।  इन त्योहारों में से एक खास तिहोहर है जो दीपावली के नाम से जाना जाता है। और इस दिन मनाया जाता है। इस देश में ही नहीं विदेशों में भी बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। लेकिन दीपावली मनाई जाती है। इसका कारण क्या है? दीपावली का त्यौहार कैसे मनाया जाता है? लक्ष्मी पूजा सबसे बड़ी चीज है। आप इसके बारे में कैसा महसूस करते हैं, इसके आधार पर दीपावली का त्योहार मनाया जाता है। दीपावली को मनाने की कई कहानिया प्राप्त हुई है। लेकिन इन पांच तथ्यों के साथ मैं आपके लिए कहानियां प्रस्तुत करता हु। इन पाँच तथ्योमे तीन हिन्दू समुदाय से है। एक शिख समुदाय से है। एक जैन समुदाय से संभन्धित है। सभी समुदाय के कारण को जानते है। दीपावली क्यू मनाई जाती है। दिया क्यू जलया जाता है और माता लक्ष्मी पूजन क्यों किया जाता है। दशहरा या ठीक बीस दिन बाद दिवाली मनाई जाती है। सबसे पहले आइए जानते हैं कि दिवाली का त्योहार क्यों मनाया जाता है। जी हां, दिवाली का त्योहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। अश्विन मास की अमावस्या को बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।
दीपावली का महत्व केवल भारत में ही नहीं विश्व के कई देशों में क्यों मनाया जाता है?
    दीपावली क्यू मनई जाती है पहली कहानी जुडी वह भगवान श्री रामचंद्रजी से त्रेतायुगम भगवान श्री रामचंद्र वनवास हुआ था। तब बनवास में अनेक यातनो सहन करते हुए वह लंका पहंचे वहा पर लंकापति रावण से युद्ध करने के रावण का वाढ करने के बाद श्री रामचन्द्रजी अमावस्या को ही अयोध्या लोटे अयोध्या के लोगों को श्री रामचंद्रजी के राज्याभिषेक हुआ था। सारे नगरमे दियो की हारमाला सजाई गयी थी। भगवान श्री रामचंद्रजी के अयोध्या वापा लोटने की खुशीमे घी का दीपक जलाकर खुशी मनाई गयी थी।ओर तब से दीपावली का त्योहार मनाया जाने लगा है। एक ओर  कथा जुडी है समुद्रमंथन के समय अश्विन अमावस्या को ही क्षीर सागर से महालक्ष्मी उत्पन हुई थी तब भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी का विवाह संपन्न हुआ था। दीपावली के दिन माता लक्ष्मी पूजन किया जाता है माता लक्ष्मी धन की देवी है इसलिय हर घर में दिए जलाने के साथ माता लक्ष्मी पूजन अर्चन किया जाता है हमें घर माता लक्ष्मी का सदा निवास बना रहे सदा सुख समृद्धि बनी रहे।
तीसरी घटना यह है कि भगवान कृष्ण के साथ जुड़ी है। उस समय नरकासुर नामक राक्षस हुआ करता था।  वह बहुत क्रूर था। उसने बारह साल तक 16000 युवतियों का अपहरण किया था। दिन यह दिन अश्विन अमावस्या का भी दिन था। कृष्णा पंथी लोग इस लिए दीपावली का त्योहार मनाते है। चोथी कथा अनुसार एक बार की बात है जब मुगल बादशाह जहांगीर में 52,000 राजाओ को केदी बनाकर के रखा था।  उस दोरान शिखो के साथ गुरु हरगोविंद सिंह आप समजबुज से आप बुद्धिमनी से उन 52000 राजा ओ जागीर केद से आज़ाद कराया था। तब से शिख समुदाय में दिवाली का त्योहार धूमधाम से मनाया जाने लगता है। पंचवी कथा जैन धर्म की जुडी है जैन धर्म के 24 वें तीर्थंकर, भगवान महावीर स्वामी ने भगवान महावीर या प्रमुख भरत गौतम स्वामी से अश्विन मास की अमावस्या की रात को ही निर्वाण की प्राप्त की। तब से जैन धर्म में भी  दीपावली पर्व मनाया जाता है। उनके अनुसार, भगवान महावीर स्वामी को दीवाली के दिन यानी अश्विन मास की अमावस्या या मेरे अधिक रात जाने से एक दिन पहले अंतिम उपदेश दिया गया था। उस दिन को उत्तरायण के रूप में जाना जाता है। भगवान महावीर स्वामी के जाने के बाद जैन धर्मस्ववलम्बी होने लिए करते हैं खुशी मनाने के लिए  जैन धर्म के लिए दीपावली त्योहार मनाया जाता है की है धर्मवलंबी भगवान महावीर स्वामी पूजन विशेष। और उनके त्याग तपस्या को याद करते हैं।सभी जैन मंदिरों में पूजा का आयोजन किया जाता है। इस तरह से पांच कथाओ को ध्यान में रखते हुए भारत के सभी हिस्सों में और न केवल भारत में बल्कि पूरे देश और विदेशों में भी दिवाली को बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। दीपावली के दिन पूरे हर्षोलस के साथ होता है दीपक जलये जाते हैं और माता लक्ष्मी का विशेष पूजन अर्चन कर के प्रसन्न करने बड़े प्यार से किया जाता है के देवता है इसलिये हम भगवान श्री गणेश मार्ग पर चले और कुबेरजी धन के देवता होने के करन कुबेर का पूजन किया जाता है उसकी कृपा हम पर बारी रहे या धनसंपति हमारे पास रहे। हमारा खजाना भरा रहे कि इस दिवाली को मनाने की पांच वजहें थीं। 
दीपावली का महत्व केवल भारत में ही नहीं विश्व के कई देशों में क्यों मनाया जाता है?
अगर आपके सामने पेश किया। इसलिए दीवाली मनाना जरूरी है, भले ही छेद हों, लेकिन क्या बात है कि दीपक खुशी का इजहार करने के लिए जलते हैं। खुशी के साथ बच्चे पाते हैं जलाने का काम करते हैं। भारतीय संस्कृति में दीयों को ऐसे प्रकाश के मध्य का सूचक माना जाता है क्योंकि दीया स्वयं जलता है, लेकिन दूसरों को प्रकाश देता है। वह भौतिक और आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त करता है जहां सूर्य का प्रकाश नहीं है, दीपक मे भाग्य का  प्रकाश है। इस पुराण में इस काल में दीपक का उपयोग कैसे हुआ था। देवताओं या मनुष्यों के बीच संवाद साधने का माधायम था। कैसे हुआ या समुद्र तट की कीमत संचार का साधन है, कि अमावस्या या इस दीपक पूजा का दिन बहुत महत्वपूर्ण है, यह विशेष रूप से फलदायी है, तो मैं आपको एक बात बता दूं। उसके बाद चाहे मिट्टी का हो दीया, आप जो भी कहते हैं, बाजार में इलेक्ट्रॉनिक बिजली की रोशनी आपके घर में दीपक नहीं जलाना सिर्फ मिट्टी का दिया जलाना। इसमे आपके देश का हित है।  ईश्वर दीपावली के पूजन का क्या होता है, कैसे पूजन करना है 
दीपावली का महत्व केवल भारत में ही नहीं विश्व के कई देशों में क्यों मनाया जाता है?
    सभी आश्विन मास की अमावस्या के दिन दीपावली मनाई जाती है और इस दिप् वली का त्यौहार पांच दिनों तक मनाया जाता है। दीपावली के दिन लक्समी पूजा की जाती है। उस मिथक को अवश्य जानना चाहिए। एक बार भगवान विष्णु माता लक्ष्मीजी के साथ धरती पर आए। भगवान विष्णु ने लक्ष्मीजी से कहा, मैं दक्षिण में जा रहा हूं, लेकिन तुम यहीं रहो। लेकिन लक्ष्मीजी विष्णुजी के जाने के  बाद लक्ष्मीजी भी थोड़ा आगे चले। आगे चलते एक गन्ने का खेत दिखा ओर गन्ने के खेतमे जाक गनना तोड़कर खाने लगी। इसे देखते ही भगवान  क्रोधित हो गए और  और विष्णु से कहा, "जब मैंने तुम्हें मना किया था, तो तुम यहाँ क्यों आए?" ये  कहेकर उसने कहकर लक्ष्मीजीकों शाप दिया था। और कहा ये खेत जिस भी किसान है तुम यहा रहे कर उस किशन की सेवा करोगी। क्योकि तुमने चोरी की है फिर भगवान विष्णु, भगवान शिव-सागर लॉट गए। लक्ष्मीजी के पास राहेकर उस किसानको धन-संपतिसे पूर्णा कर दिया और यहां रहकर उन्होंने किसान को अमीर बना दिया। उस किसानको पता भी नहीं था के  साधारण स्त्री के रुपमे स्वयं लक्ष्मीजी यहा रहेने आई है। बाराह साल के बाद जब श्राप पूर्णा हुआ तो भगवान विष्णु स्वयं आ गए लक्ष्मीजी को लंी जाने के लिए। भगवान विष्णुजीने उस किसानको कहा तूम परिवार के साथ गंगा नदीमे स्नान करने जाओ ओर चार कोडी देकर कहा इस कोडिओको तुम गंगा नदीमे छोड़ देना। किसान गंगा नदी में स्नान करके गंगाजी के पास पहुंचा। उसने चार कोड़ियां गंगा नदीमे बहाई तब चार भुजाए बाहर आई ओर कोडिया अपने पास ले ली ओर गंगा ने पूछा ये कोडिया किसकी है। तब किसानने कहा ये मेरी है। गंगा माने पूछा ये कोडिया तुम्हें किसने दी है। तब किसने कहा मेरे घर एक स्त्री ओर एक पुरुष आए है उसे दी है तब गंगाजी ने कहा वे लक्ष्मीजी ओर भगवान विष्णु हे तुम लक्ष्मीजीको मत जाने दें नहीं तुम फिर से गरीब हो जाओगे। किसान ने घर लोटने पर लक्ष्मीजी कोन जाने दिया तब भगवान विष्णुने किसान को समजाया वह मेरे कारन लक्ष्मीजी तुम्हारे यहां लक्ष्मीजी तुम्हारे यहा बाराह वर्ष रही है। तुम्हारी सेवा कर रही है। फिर लक्ष्मी तो चंचल है। उन्हे बड़े बड़े नहीं रोक पाये तो तुम हठ मत करो। फिर लक्ष्मीजी बोली एक किसान अगर तुम मुझे रोकना चाहते हो तो कल धनतेरस है तुम अपना घर स्वच्छ  करना रात्रीमे घी का दीपक जलाना में तुम्हारे घर जरूर आऊँगी। जब भी तुम मेरी पूजा करोंगे तो मे जरूर तुम्हारे घर बिराजमान होंगी।  उसके बाद लक्ष्मीजी ने इसे दीपावली या दिन पूजा का विषय समझाया। फिर किसानने बात मानली या लक्ष्मीजी द्वारा दिखाई गई विदधि के अनुसार लक्ष्मीजी की पूजा-आर्च की तो उनके धन से भर गया। इसलिए किसान हर दिन लक्ष्मीजी की पूजा करने लगा और अन्य लोग भी लक्ष्मीजी की पूजा करने लगे। तो ये है लक्ष्मीजी की पूजा ओर लक्ष्मीजी की कथा। 
दीपावली का महत्व केवल भारत में ही नहीं विश्व के कई देशों में क्यों मनाया जाता है?


    पर्व की कथा और महात्म्य दीपावली का नाम सुनते ही प्रत्येक हिन्दू का मन प्रसन्न हो जाता है क्योंकि दीपावली हिन्दू धर्म और हिन्दू संस्कृति का महान पर्व है। दीपावली या दीपावली सिर्फ एक त्योहार नहीं है बल्कि पूरे साल की 365 दिन की बैलेंस शीट है। दीपावली शब्द का सामान्य अर्थ दीप है जिसका अर्थ है दीपक और अवली का अर्थ है माला। इस प्रकार दीपावली का अर्थ है दीपों की हारमालाएसा कुछ होता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार दीपावली का महत्व रामायण के साथ जुड़ा है। अपने पिता के वचन के लिए अपने इष्टदेव भगवान श्री राम चौदा साल के लिए वेनमे गए थे। रघुकुल रीत सदा चली आई प्राण जाए पर वचन न जाये। ओर इस प्रचलित कथा के अनुसार माता कैकैयी के दो वरदान जो राजा डसरथने दिये थे। इसी वचन को पूर्ण करने के लिए रामको चौदा साल का वनवास ओर भरतको अयोध्याकी गादि इसी वचन का पालन करने के लिए प्रभू श्री राम सीता ओर भाई लक्ष्मण के साथ चौदा साल वन मे गए थे। राम वनवास की कहानी भारत के बच्चे बूढ़े सभी के दिल में पितृभक्ति के उदाहरण के रूप में उकेरी गई है। लेकिन राम के प्रति भरत की भक्ति अद्वितीय है। उनके माता-पिता को वादे के अनुसार अयोध्या का सिंहासन मिला लेकिन भगवान राम के लिए प्रेम ने गांदी को स्वीकार नहीं किया। अयोध्या के सिंहासन ने भी भगवान श्रीराम के चरण पादुका की स्थापना की और श्रीराम को अयोध्या का राजा बनाया था। कहानी के अनुसार, नगरवासी भी, जो श्री राम प्रभु के दीवाने थे, चौदह वर्ष तक राम को अपना राजा मानते रहे। कथा के अनुसार, करुणानिधान श्री राम ने लंका पर विजय प्राप्त की। रावन का वध करके आए। पाप पर पुण्य की विजय की स्थापना की। भरत सत्रुघ्न तीनों माताए कौशल्या, सुमित्रा ओर  कैकैयी लक्ष्मण की  पत्नी उर्मिला और सभी नगरवासियों सभी जिसकी राह देख रहे थे। वो घड़ी आ गयी थी। सभी थे उस पल का इंतजार है जब अयोध्या में आनंद का सागर उमड़ने लगा। सारे नगर सजने लगा घर के आगन सात रंगो की रंगोली से सजने लगे। सारा नगर दीपक की हारमाला से सजने लगा था। सारे आँगन दियो की दीपमाला से झगमगा रहे थे क्योकि ह्रदय के स्वामी प्रभु श्री राम पधारने वाले थे।  इस हर्षित पर्व का नाम दीपावली रखा गया था। त्रेतायुग का यह उस्ताव आज भी पूरे भारत मे दिवाली या दीपावली के नाम से मनाया जाता है। दानव रावण का वध ओर प्रभु श्री राम का विजय असत्य पर सत्य का विजय था। ओर चौदह वर्ष के वनवास समाप्त हो गया था और इसीलिए आज भी पाप पर पुण्य, असत्य पर सत्य ओर अंधकार पर प्रकाश के पर्व को  दीपावली का महान पर्व प्रकाश पर्व के रूप में मनाया जाता है। दीपावली के साथ जुड़ी अन्य कथा ए मे से आज ही के दिन या नि दिवाली के दिन समुद्र मंथन के दोरान महलक्ष्मीजी प्रकट हुए थे। ओर भगवान श्री नारायण के साथ विवाह हुआ था। इस लिए दिवाली के दिन महालक्ष्मी पूजन भी इस दिन किया जाता है। दिवाली के दिन, व्यापारी पुस्तक पूजन करते हैं और अपने नए साल का व्यवसाय शुरू करते हैं। इस दिन लक्ष्मी पूजन भी बहुत महत्वपूर्ण है। इस दिन आँगन ओर घर को साफ-सफाई करके आँगन मे रंगोली की जाती है। माँ लक्ष्मी के साथ माँ सरस्वती ओर गणेश की भी पूजा की जाती है। इस प्रकार दीवाली है अंधेरी रात को रोशन करने के लिए गुजरात में दिवाली साल का आखिरी दिन है। 
दीपावली का महत्व केवल भारत में ही नहीं विश्व के कई देशों में क्यों मनाया जाता है?


    अगले दिन नया साल कार्तिक सूद इकाई से शुरू होता है। ऐतिहासिक महत्व के अनुसार विक्रमादित्य विक्रम संवत इसी दिन से शुरू हुआ था। दिवाली के दिन दीपक जलाकर आनंद प्रदर्शित किया जाता है। तो दिवाली पर अंधकार से प्रकाश तरफ ले जानेवाला पर्व प्रकाश पर्व की आप सब को बहुत बहुत शुभकामनाए। आप सब पर प्रभु की कृपा बनी रहे।  इसी प्रार्थना  के साथ कवि नानालाल को पंक्ति याद आती है : तुम मुझे असत्य से परम सत्य की ओर ले चलो। घोर अन्धकार से परम प्रकाश की ओर ले चलो। तुम मुझे महमूर्त्यु से अमृत की ओर ले चलो। मे छोटा हु तो तू दर्शन का वरदान दे जा। आप सब को दिवाली की शुभकामनाएँ ओर आने वाले नए सालकि हार्दिक शुभ कामनाए जय श्री कृष्ण
दीपावली का महत्व केवल भारत में ही नहीं विश्व के कई देशों में क्यों मनाया जाता है?

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