Bona Or Pana Hi Sahi Hai
Bona Or Pana Hi Sahi Hai
बोना ओर पाना ही सही है
Namaskar Dosto is lekhme me aapako jivanme kyaa Bona Or Pana Hi Sahi Hai ke bareme bataaunga.
भ्रमित मत हो। भगवान का कभी मजाक नहीं उड़ाया जा सकता; क्योंकि मनुष्य जो बोता है वो पाता है -गेलेशियन्स
`यदि आप काम बोते हैं, तो आप स्वभाव को पाते है ; यदि आप स्वभाव को बोते है तो चरित्र्य को पाते है चरित्र को बोते है तो भाग्य को पाते है । ` -जी. डी. बोर्डमेन
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हमारा कार्यक्रम चमत्कारिक रूप से हमारा स्वभाव बन जाता है` -शेक्सपियर
अच्छी आदतें हमें अंतहीन लाभ देती हैं और अच्छे लोगों का अनुकरण करनेसे , उनके साथ जुड़ने से , ज्ञान प्राप्त करने से और अच्छे काम करने आदत प्रपट होती है`। -प्लेटो `आदत की श्रृंखला तोड़ नहीं सकते , उतनी मजबूत बनती नई जाती तब तक सूक्ष्म होती है कि हमें दिखाई भी नहीं देती। -सेम्यूअल जॉन्सन
पाप के विचारमात्र से शुरुआत मे हम भयभीत होते है लेकिन धीरे धीरे उस मार्ग को पक्कड़ ने के बाद घोर कर्म भी हमे आसान लगते है । उसके बाद, बार बार हम पाप कर्म करने लगते है अंत मे वे स्वभाव बना रहेता है। और जब वह प्रकृति मजबूत हो जाती है तो हम उसके लिए पश्चाताप नहीं करते हैं; इतना ही नहीं, लेकिन हम हठपूर्वक पाप कर रहे हैं, और अंत में हम निंदा के पात्र बनते हैं। -जेरेमी टेईलर
बदमाशो मे ज्यादा फर्क नहीं होता। हर बदमाश एक आज्ञाकारी पुत्र के रूप में अपना जीवन शुरू किया होता है।` दुनिया में चली हुई किसी भी महामारी से भी बड़ी महामारी है। ` -जॉन फोस्टर `यदि केवल पाखंड आपके जीवन का अध्ययन है तो आप पहले प्रयास में किसी भी कार्य के लिए सहानुभूति नहीं रख पाएंगे। -एफ. डब्ल्यू रॉबर्टसन हम अपने ही रंग से अपने भविष्य को रंगते हैं और भाग्य के क्षेत्र मे जेसा बोते है वैसा पाते हैं।। -व्हीटियर यह प्रकृति की एक सुंदर प्रणाली है कि, जो कार्य हम कर्तव्य के रूप में करते हैं, वह बार-बार करने से स्वाभाविक हो जाता है और अच्छे कर्म करने की प्रकृति हमारे गले में एक माला की तरह लटक जाती है।
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लोग अक्सर सोचते हैं कि अगर मैं इतनी सारी समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए थोड़ा झूठ बोलूं, तो क्या होगा? यह क्या हिसाब मे? अब मैं थोड़ा बहुत पैसा हाल एसे दूंगा तो क्या हो जाएंगा ? कोई भी आदमी पहले इसे जान नहीं पाएंगा , और मुझे पैसे की जरूरत होने से पहले इसे भर दूंगा। अगर आप थोड़ी शराब पी लेंगे तो क्या होगा? इतना क्यां हिसाब मे ? रात को अच्छी नींद आएंगी तो सब अच्छा हो जाएंगा । अगर मैं थोड़ा कम काम करता हूं तो क्या होगा? उससे ज्यादा कुछ भी फर्क नहीं पड़ेगा; और सामान्य तौर पर, मैं इतना सावधान हूं कि इस तरह के तुच्छ मामले कोई बड़ी बात नहिं हो जागी ।
लेकिन मेरे युवा मित्र! आप इसे पसंद करें या न करें, इससे फर्क अवश्य पड़ेगा। आपका काम एक लोहे की कलम से लिखा गया है, जिसमें बेहतरीन विवरण भी शामिल हैं। ये लिखने वाला दूत कोई काल्पनिक नहिं है । यह हमारे अपने शरीर में रहता है। इसका नाम स्मार्णशक्ति है। यह प्रकृति की एक सुंदर प्रणाली है, जिसे हम एक कर्तव्य के रूप में करते हैं, वह बार-बार करने से स्वाभावरूप हो जाता है और अच्छे काम करने की प्रकृति हमारे समय में एक फूलमाला की तरह लटकती है।
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सभी शिक्षाओं में सबसे बड़ा काम हमारे ज्ञांतंतुओको दुश्मनों के बजाय हमारा
दोस्त बनाना है। कार्य हमारी प्राप्त पूंजी को संरक्षित करना और उस पूंजी के व्याज पर सुखपूर्वक से निर्वाह करना ये काम है। इसीलिए हमें जितना सके उतना जल्दी ओर जितना बन शाके उतना उपयोगी कार्य को आमे स्वाभाविक ओर अपने आप बनते हुआ कर देना चाइए । और जैसे ही हम प्लेग को रोकने के उपाय करते हैं, वैसे हमें उन्हें हानिकारक होने से भी रोकना चाहिए। और वह हर चीज को ग्रहण करदे रखता है। मान लें कि कोई भी बुखार या कोई अन्य उत्तेजक पदार्थ फोटोग्राफ की तरह आपके कार्य को स्पष्टरुपमे प्रकट नकारे तब तक ही अपने स्मृति से निकाल गया मानते है ; लेकिन कभी-कभी ऐसा होता है कि एक आदमी की पूरी जिंदगी एक पल में होती हैउसके सामने से गुजरता हुआ प्रतीत होता है। क्योंकि वास्तव में, हर समय उसका जीवन उसकी भावनाओं, विचारों, भावनाओं में रही है।
हमारे अच्छे-बुरे कर्म हमारे स्वर्गदूत या यमदूत बन जाते हैं। हमारी अच्छी और बुरी छाया हमेशा हमारे साथ चलती है।
आनंदी स्वभाव एक साधारण સે साधारण व्यक्ति को भी खुशी और सुंदरता की मूर्ति बनाता है। हम प्रत्येक अपनी इच्छा शक्ति के बल पर एक आनंदित प्रकृति प्राप्त कर सकते हैं। लगातार उन चीजों के प्रति हमारी इच्छा को आकर्षित करने से जो हमें खुशी देती हैं, हमें छोटी से छोटी बात में भी खुशी और संतुष्टि मिलती है। उचित रूप से इच्छाशक्ति की तालिम से उन सभी विचारों को दूर कर सकती है जो असंतोष का कारण बनते हैं और स्थायी शांति का साम्राज्य स्थापित करते हैं। हमारे संबंध में पंचति यह है कि हम इच्छाशक्ति के आधे हिस्से का भी ज्ञान नहीं करते हैं। एक आदमी एक अच्छी आदत में शामिल होने के बाद केवल यही कर सकता है कि वह कहां जा रहा है। वह किसी भी बात का पछतावा नहीं करता है, लेकिन आदत की मजबूत रस्सी से बंधे होने के कारण, वह पूरी तरह से कमजोर और असहाय हो गया है; और यह रस्सी, जो कार्य उसके अधीन प्रतीत होते थे, वे प्रत्येक कार्य के नाजुक धागे से बुने जाते हैं!
सदाचार अच्छा करने की एक मजबूत आदत है। कुछ लोग झूठ बोल ही नहिं सकते। सच बोलने की उनकी आदत दृढ़ता से स्थापित है; यह आदत उनके स्वभाव के साथ मिश्रित है; उनके चरित्र की धारणा है कि सत्य कभी नहीं मिटेगा। कुछ लोग ऐसे हैं जिन्हें हम जानते हैं कि उनकी हर बात सच है। किसी भी छीजसे हमारी उस पर से विश्वास टूटता नहीं है; फिर कुछ लोग ऐसे भी हैं जो कभी सच नहीं बोल सकते। उनका चरित्र झूठ से भरा है और यह उनके शब्दों में स्पष्ट है। इससे पहले कि आप पाप को देखें से पहेले सावधान रहें। क्योंकि जितना अधिक हम इसे देखते हैं, उतना ही यह हमें अच्छा लगता है।
आदत एक बच्चे की नकल करती है। अहो! एक ही कार्य को बार-बार करने से कितनी बार होता है। ! लेकिन यह एक शक्ति है जिसका उपयोग हम अपनी प्रगति बढ़ाने के लिए कर सकते हैं; या हम उसके साथ बहके, पटकके से या तो नष्ट हो जाते हैं।जीवन के सत्य के मार्ग पर चलने को सोचने का प्रारंभ करना सोचना ये कितना महान कार्य है ! प्रत्येक युवा जानता है कि, अंत में, वे अन्य पुरुषों जिस पथ पर चलते है उस पाठ को अंत तक पकड़े रहेते है फिर भी वो ही नियम का अनुसरण करते हैं; और ये बात भूल जाता है वह मामूली झूठ कहकर खुद को झूठा बन जाएगा एसा नहीं मानता; लेकिन दूसरे मनुष्य को अवश्य झूठा मानना है । वह अन्य पुरुषों को आलसी और विनाश के मार्ग पर चढ़ा हुआ मानता है; लेकिन ऐसी स्थिति में अपने आप को मानता नहिं है ! बुरी आदतों के बीच एक अद्भुत पारस्परिक जुड़ाव है। यह सब एक परिवार में उत्पन्न हुआ। यदि आप इनमें से किसी भी तुच्छ या छोटी आदतों को अपनाते हैं, तो कुछ ही समय में वे सभी आपके पास आएंगे और आप पर कतार लगाने के लिए खड़े होंगे। जो आदमी आलसी या सुस्त हो गया है वह हमेशा अपने कार्यों में देरी करता है और जो व्यक्ति अपने कार्यों में देरी करता है वह झूठे बहाने बनाता है; माफी मांगता है और झूठ बोलता है। वादा के अनुसार काम पूरा नहीं करने वाला आदमी बिल्कुल सही नहीं हो सकता।
यदि हम छोटी-छोटी आदतों से चिपके रहते हैं तो कई बार यह अपराध में बदल जाता है।हम सबसे पहले अपने दिल में आमंत्रित करते हैं, पसंदीदा भोजन; लेकिन बाद में यह बहुत परिचित हो जाता है और हमारी आत्माओं में गहराई तक चला जाता है। हम उसे जाने के लिए कहते हैं; लेकिन यह हमे पर हस्ता है। और जाने से इंकार कर देता है ।
यह हमारे गुप्त पाप हैं जो हमारे गालों पर गड़े करते है और हम जहां भी जाते हैं, अपने वास्तविक स्वरूप को प्रकट करते हैं। प्रत्येक अपवित्र विचार हमारे मुखपत्र पर इतनी गहरी छाप छोड़ता है कि वह कभी मिटता नहीं है और हमारी निस्तेज आंख नष्ट चरित्र के जाहर खबर का कार्य करती है।
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